Human Metapneumovirus (HMPV) क्या है?
ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस ( HMPV) एक
वायरस है जो सांस संबंधी बीमारियों का कारण बनता है. यह एक उसी ग्रुप का वायरस है जिस ग्रुप में आरएसवी, खसरा के वायरस होते हैं. एचएमपीवी के शुरुआती लक्षण भी इन वायरस जैसे ही हैं. इसमें बच्चों को खांसी- जुकाम बुखार और गंभीर मामलों में सांस लेने में परेशानी हो सकती है. इस वायरस के अधिकतर मामले बच्चों में ही आते हैं और वह भी 5 साल से छोटे बच्चों में ज्यादा देखे जाते हैं.
एचएमपी कैसे फैलता है?
एचएमपीवी
किसी ऐसे व्यक्ति के
सीधे संपर्क में आने से
या वायरस से दूषित चीजों
को छूने से फैलता
है. उदाहरण के लिए संक्रमित
व्यक्ति के खाँसना और
छींकने से, संक्रमित व्यक्ति
या बच्चे से हाथ मिलाना,
गले मिलना आदि. इसके अलावा
यह वायरस दरवाज़े के हैंडल, की-बोर्ड या खिलौने जैसी
सतहों या वस्तुओं को
छूने से भी फैल
सकता है. अगर इन
सतहों पर वायरस मौजूद
है और आपने इन
चीजों को छूकर हाथ
अपने मुंह या नाक
पर लगाया है तो वायरस
शरीर में जा सकता
है.
एचएमपीवी के गंभीर लक्षण क्या हैं
यदि आप या आपके बच्चे को तेज़ बुखार (103 डिग्री
फ़ारेनहाइट/40 डिग्री
सेल्सियस से अधिक), सांस लेने में दिक्क्त, त्वचा, होंठ या नाखून का नीला पड़ना (सायनोसिस) जैसे लक्षण दिख रहे हैं तो तुरंत अस्पताल जाना चाहिए.
क्या एचएमपीवी से भारत में भी खतरा है?
सामान्य फ्लू के जितने भी मामले आते हैं उनमें 0. 8 फीसदी
एचएमपीवी वायरस के होते हैं. यानी, यह एक ऐसा वायरस है जो मौजूद रहता है. लेकिन इसमें पैनिक होने की जरूरत नहींं है. इस वायरस से संक्रमित अधिकतर बच्चे हल्के लक्षण वाले होते हैं. ये वायरस नया भी नहीं है. पहले से ही मौजूद है. जो केस आए हैं उनकी कोई ट्रेवल हिस्ट्री नहीं है, यानी ये वायरस भारत में ही मौजूद है. ऐसे में अलर्ट रहने की जरूरत है, लेकिन पैनिक नहीं होना है. जरूरी है कि बच्चों को लेकर सभी जरूरी सावधानी बरतें.
एचएमपीवी से बचाव कैसे करें
क्या रखें सावधानी अभी
तक एचएमवीपी वायरस के लिए कोई
वैक्सीन या एंटीवायरल इलाज
उपलब्ध नहीं है। हालांकि
बहुत से लोग आराम
करके और हाइड्रेशन से
ठीक हो जा रहे
हैं। ऑक्सीजन थेरेपी की जरूरत पड़
सकती है। हालांकि विशेषज्ञों
का कहना है कि
इसको लेकर पैनिक होने
की जरूरत नहीं है। इसके
मुताबिक जाड़े के मौसम में
विशेष सतर्कता बरतकर इससे बचाव किया
जा सकता है।
अपने हाथ बार-बार साबुन और पानी से धोएं.जब आप छींकते या खांसते हैं तो अपनी नाक और मुंह को ढकें – अपनी कोहनी से, अपने नंगे हाथ से नहीं आप बीमार हैं और दूसरों के आसपास रहने से बच नहीं सकते तो मास्क पहनने पर विचार करें अपने चेहरे, आंख, नाक और मुंह को छूने से बचें
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